आखिर प्रेम है क्या? - एक एहसास या अहसासों का मेला

जब शब्द हृदय से निकल कर आँखों से बहने लगें, समझिए प्रेम ने दस्तक दे दी है...

एक अनुत्तरित प्रश्न

सदियों से कवियों, लेखकों, दार्शनिकों ने इस अनसुलझे प्रश्न का जवाब ढूंढने की कोशिश की है। प्रेम... क्या है ये? एक अहसास, एक इच्छा, या फिर एक अटूट बंधन?

जब निगाहें मिलें

कभी अचानक दो नजरें मिलती हैं, और समय मानो रुक सा जाता है। एक अजीब सी हलचल, एक मीठा सा दर्द, जैसे हृदय ने धीरे से धड़कना शुरू किया हो।

शब्दों की मिठास

प्रेम के बिना शब्द खोखले हैं, भावनाहीन। पर प्रेम जब रंग भरता है, तो साधारण से शब्द भी कविता बन जाते हैं।

त्याग और समर्पण

प्रेम केवल लेना नहीं, अपितु निःस्वार्थ भाव से देना भी सिखाता है। अपने प्रिय की ख़ुशी में ही अपनी ख़ुशी तलाशना ही सच्चा प्रेम है।

दर्द भी है अनिवार्य

जहाँ प्रेम है, वहाँ थोड़ा दर्द भी तो होगा। बिछड़ने का डर, या फिर अनकहे शब्दों का गम।

समय की कसौटी

सच्चा प्रेम समय के साथ और मजबूत होता जाता है। ये एक अटूट विश्वास का बंधन है, जो हर परिस्थिति में साथ निभाता है।

प्रेम के अनेक रूप

प्रेम केवल प्रेमी-प्रेमिका तक सीमित नहीं है। माँ का अपने बच्चे के लिए प्रेम, दोस्ती का अटूट बंधन, ये सब प्रेम के ही रंग हैं।

खुद से प्यार

दुनिया में सबसे महत्वपूर्ण प्रेम है खुद से प्रेम। जब तक हम खुद से प्यार नहीं करेंगे, दूसरों को सच्चे अर्थों में प्यार कैसे करेंगे?

प्रेम ही जीवन है

प्रेम जीवन का सार है। जीवन के हर मोड़ पर, हर रिश्ते में, प्रेम ही हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है।

अनंत यात्रा

प्रेम की परिभाषा करना असंभव है। यह तो एक अनुभूति है, एक अहसास है, एक अनंत यात्रा है जो जीवन भर चलती रहती है...